उसने कहाँ था – चन्द्रधर शर्मा गुलेरी || BSEB Class 12th Usne kahan tha Subjective Question And Answer PDF Download
उसने कहाँ था – चन्द्रधर शर्मा गुलेरी : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से सत्र 2023 24 में वैसे विद्यार्थी जो परीक्षा देंगे उन सभी विद्यार्थी के लिए यह आर्टिकल काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि उसने कहा था पार्ट से बहुत सारे सवाल पूछे जाते हैं जिन का आंसर सवाल इस आर्टिकल में बताया गया है। उसने कहा था पाठ के लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी इनका जन्म 7 जुलाई 18 सो 83 ईस्वी को जयपुर राजस्थान में हुआ था इनका मूल निवास गुलेर नामक ग्राम जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश में था इनका पिताजी का नाम पंडित शिवराम था इनका निधन 12 सितंबर 1922 ईस्वी को हो गया था।
Usne kahan tha -Highlight
लेखक का नाम |
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी |
शिक्षा | संस्कृत |
संपादक | समालोचक, काशी,जागरी |
रचनाए | सुखमय जीवन, बुद्ध का काँटा |
तेरी कुड़माई | मँगनी ( सगाई ) |
वृति | 1916 मे संस्कृत विभाग के अध्यक्ष |
भाषा | सरल, सुबोध, सुगम, खड़ी बोली |
शैली | व्यास – प्रधान |
कृतियाँ | कछुआ धर्म, उसने कहा था |
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Q. उसने कहा था कहानी कितने भागों में बटी है ? कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है ?
Ans. उसने कहा था कहानी 5 भाग में बटी हुई है कहानी के दो भाग में युद्ध का वर्णन है
Q. कहानी के पात्रों में की एक सूची तैयार करें
Ans. लहना सी बोधा सी बजीरा सी सूबेदार हजारा सिंह सूबेदारनी लपटन साहब इत्यादि
Q. उसने कहा था कहानी पहली बार कब प्रकाशित हुई थी?
Ans. उसने कहा था कहानी पहली बार कब प्रकाशित 1915 हुई थी
Q. सूबेदार और उसका बेटा लड़ाई लड़ने क्यों गए थे?
Ans. सूबेदार को अंग्रेजी सरकार से बहादुरी का खिताब और जमीन जायदाद मिली थी उन्होंने इसके बदले में अपनी वफादारी निभानी थी इसलिए वह लड़ाई पर गए थे
Q. उसने कहा था कहानी में कितने किससे क्या कहा?
Ans. उसने कहा था कहानी में सूबेदार ने लहना सिंह से कहा था कि जिस तरह बचपन में उसने एक बार घोड़े की लातों से उसकी रक्षा की थी उसी प्रकार वह लड़ाई में उसके पति और एकमात्र पुत्र की वाह रक्षा करें वाह उसके आगे अपना आंचल फैला कर भीख मांगती है या बात लाना सी के हृदय को छू जाती है
Q. लहना सिंह के प्रेम के बारे में बताएं ?
Ans. लहंगा सिंह अपने किशोरावस्था में अनजान लड़की के प्रति आकर्षित हुआ था लेकिन वह उससे शादी नहीं कर सका वह उसी से शादी नहीं कर सका बाद में उस लड़की की शादी सेना में काम कर रहे हैं एक सूबेदार से हो गया लाना से भी सोने सेना में भर्ती हो गया अचानक कई वर्षों बाद उसे पता चला कि वेदार नहीं वह लड़की है जिसने उस उससे कभी प्रेम की थी श्वेता न्यूज़ से निवेदन करती है वह उसके पति एवं एकमात्र पुत्र जो सेना में भर्ती है वह दासी की रक्षा करेगा लाना सी अपने प्रणाम प्रणाम देकर इस वचन को निभाया था वही उसका वास्तविक प्रेम था
Q. कल देखते नहीं थी रेशम से कढ़ा शालू यह सुनते ही लहना सिंह की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
Ans. यह सुनते ही लहना सिंह प्रजापत होता है और वह किसी को मोरी में धकेल देता है किसी कुत्ते को पत्थर मारता है किसी सब्जी वाले के ठेले में दूध उलटे देता और किसी सामने से आती हुई महिलाओं से टकरा जाता है और गाली सुनाता है
Q. उसने कहा था कहानी का केंद्रीय भाव क्या है?
Ans.उसने कहा था प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी हुई कहानी है या एक अर्थ में युद्ध विरोधी कहानी भी है क्योंकि लहना सिंह के बलिदान व्यर्थ हो जाता है और लाना सी के बलिदान का उचित समय किया जाता है और लाना सी का करून एंड यूज में हो जाता है लाना सी का कोई भी सपना पूरा नहीं होता है
Q. लहना सिंह का परिचय अपने शब्दों में दें?
Ans. लहना सिंह ब्रिटिश सेना का ब्रिटिश सेना का सीख जामदार था वह भारत से दूर फ्रांस में जर्मनी के खिलाफ युद्ध करने के लिए भेजा गया था वह एक कर्तव्य निष्ठ इस सैनिक था उसने प्राण की परवाह किए बिना युद्ध भूमि के खंदको में रात दिन पूरे मन के साथ काम करता था
उसके जीवन का एक दूसरा पहलू भी है उसकी मानवीय संवेदना बचपना बंद तथा प्रेम अपनी किशोरावस्था में वह एक बालिका से बहुत प्रेम करता था बाद में वह सेना में भर्ती हो गया तो उसे पता लगा कि बालिका अब सेवादार की पत्नी है और उससे वचन लेती है कि या युद्ध में उसके पति और एकमात्र पुत्र की रक्षा करें जिसका पालन लहना सिंहअपने प्राण देकर करता है
Q. उसने कहा था कहानी के आधार पर सूबेदार हजारा सिंह का चरित्र चित्रण करें?
Ans. सूबेदार हजारा सिंह सरदारनी का पति सरकार से उसे बहादुर का इनाम और जमीन जायदाद मिल चुकी है हजारा सिंह अपने बेटे बोधा सिंह को लहना सिंह के भरोसे छोड़ जाता है साथ ही वह लहना सिंह के मुख दुख की भी चिंता करता है और उसे अपनी सेहत का ख्याल रखने का भी कहता है अल्लाह की कहानी का इस घटना पर कोई प्रकार नहीं पड़ता क्योंकि कहानी की मूल संवेदना से इसका सीधा संबंध नहीं है लेकिन कहानी के अंत में लहंना सिंह की मौत का जिस रूप में उल्लेख होता है उससे यह साफ हो जाता है कि सेवादार हजारा सीने लहना सिंह आ जजबीका सम्मान नहीं किया |
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